एक तो भारतीयों में हृदय रोग होने की आनुवांशिक प्रवृति अधिक होती है। दूसरी चीज कि हमारे देश में युवाओं की लाइफस्टाइल में हो रहे बदलाव से टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और खराब कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां बेहद तेजी से बढ़ रही हैं. ये बीमारियाँ हार्ट अटैक के खतरे को और बढ़ाती हैं.
क्या स्ट्रेस से ही हो रहा है हार्ट अटैक
पिछले कुछ सालों में काम करने के तौर-तरीके बहुत ज्यादा बदल गए हैं. अधिकांश युवा ऐसी जॉब्स करते हैं जहाँ कम्पटीशन बहुत ज्यादा रहता है. हर महीने मिलने वाले टार्गेट, कई घंटों तक लगातार काम का बोझ और रोज-रोज मिलने वाले नए चैलेंज से वे हमेशा गुस्से और टेंशन में रहते हैं.
वहीं इस बीच आई कोविड-19 महामारी ने भी लोगों की ज़िंदगी में कई तरह की मुश्किलें बढ़ा दीं. कई लोगों ने इस महामारी में अपने करीबियों को खोया, कुछ की जॉब चली गई और कुछ तो खुद कई दिनों तक इस बीमारी की चपेट में रहे. इन कारणों से भी बड़े पैमाने पर लोगों का स्ट्रेस लेवल बढ़ा.
ये सब तो कारण हैं ही इसके अलावा सोशल मीडिया भी अपने तमाम फायदों के बावजूद, कई लोगों के लिए तनाव का मुख्य जरिया बन गया है। सोशल मीडिया पर लोगों की फैन फॉलोविंग या उनकी देश-विदेश की ट्रिप्स और महंगी लाइफस्टाइल से जुड़ी फोटोज देखकर लोग अंदर ही अंदर जलन महसूस करने लगते हैं. उनका ध्यान अपनी लाइफ से हटकर दूसरों की लाइफ में क्या हो रहा है इस पर शिफ्ट हो जाता है. उन्हें इस बात से चिढ होने लगती है कि वे अपनी लाइफ वैसे एंजॉय नहीं कर पा रहे हैं जैसे सोशल मीडिया पर उनके दोस्त कर रहे हैं. ये सब चीजें कहीं न कहीं आपका स्ट्रेस लेवल बढ़ाती हैं.
अपने खाने पर भी रखें नजर
आजकल ऑनलाइन फूड आर्डर करना काफी चलन में है. युवाओं को लगता है कि इससे समय की बचत भी होती है और घर के बोरिंग खाने से छुट्टी मिलती है. टीवी और सोशल मीडिया पर कई सेलेब्रिटी द्वारा सॉफ्ट ड्रिंक्स और फास्ट-फूड के विज्ञापन भी इन आदतों को और बढ़ावा देती हैं.
जबकि सच्चाई यह है कि इन फास्ट फूड और पैकेज्ड ड्रिंक्स में रिफाइंड आटा, शुगर, नमक और प्रिजरवेटिव जैसी चीजें आवश्यकता से अधिक मात्रा में होती हैं. हफ्ते में कई दिन इन चीजों का सेवन करके आप दिल की बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं. इसके अलावा भारत का जो पारंपरिक खानपान है उसमें शुरुआत से ही विटामिन डी और ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी है जबकि ये दिल की सेहत के लिए बेहद ज़रूरी माने जाते हैं.
इसलिए आप अपनी डाइट में ओमेगा फैटी एसिड से भरपूर चीजें जैसे कि मछली, अखरोट, अलसी के बीज और हरी सब्जियों को शामिल करें. साथ ही विटामिन डी के लिए रोजाना कुछ देर धूप में टहलें और विटामिन डी सप्लीमेंट लें.
एक्सरसाइज : करें मगर हिसाब से
अगर आप दिन भर घर में सोफे पर बैठे-बैठे आराम फरमा रहे हैं या ऑफिस में एक ही जगह बैठे घंटों काम कर रहे हैं तो ये दिल की सेहत के लिहाज से बिलकुल भी अच्छी आदतें नहीं है. काफी देर तक एक ही जगह बैठे रहने से परहेज करें बल्कि हर आधे-एक घंटे के अंतराल पर थोड़ी चहलकदमी करें. ऑफिस में किसी से फोन पर बात करना हो तो टहल कर बातें करें वहीं लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का प्रयोग करें.
यह सच है कि नियमित एक्सरसाइज करना दिल की सेहत के लिए अच्छा है लेकिन बिना डॉक्टर से सलाह लिए ज्यादा हैवी वर्कआउट करने वालों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा तुरंत बढ़ जाता है. यह बात उन लोगों के लिए तो काफी हद तक सच है जिन्हें लाइफस्टाइल या आनुवांशिक कारणों की वजह से या हार्ट में किसी तरह के ब्लॉकेज की वजह से पहले से ही हार्ट अटैक होने का जोखिम अधिक है.
इसलिए हैवी वर्कआउट शुरू करने से पहले एक बार डॉक्टर से अपने दिल की जांच करवाएं और उनकी सलाह के आधार पर ही आगे बढ़ें.
लेकिन फिट और यंग लोगो को क्यों आ रहा है हार्ट अटैक
तेजी से बदलती लाइफस्टाइल, रिलेशनशिप इश्यूज और गलत खानपान भी इसके लिए कुछ हद तक ज़िम्मेदार हैं. ऑफिस के काम को लेकर हद से अधिक स्ट्रेस, अपने डेली रूटीन का ख्याल ना रखना, बहुत कम सोना और जरूरत से ज्यादा शराब और सिगरेट पीने जैसी आदतें आपके दिल को बीमार करने का कारण बन सकती हैं.
क्या काम नींद से आ सकता है हार्ट अटैक
कई युवाओं की जॉब तो ऐसी होती है जिन्हें विदेशों में बैठे अपने क्लाइंट के साथ डील करना होता है. अलग-अलग टाइम जोन वाले लोगों के साथ काम करने से उनका अपना स्लीपिंग पैटर्न (सोने और जागने का चक्र) बिगड़ जाता है. वहीं ओटीटी प्लेटफार्म पर हर हफ्ते रिलीज होने वाली नई फ़िल्में और और सीरीज के क्रेज ने भी लोगों का सोना मुश्किल कर रखा है. आलम यह है जिस समय पर लोगों को भरपूर नींद लेनी चाहिए उस समय वे बिंज वाचिंग के नाम पर लगातार 6 से 8 घंटे लंबी सीरीज देख रहें है.
ये आदतें सेहत को धीरे-धीरे बड़ा नुकसान पहुंचाती हैं. नींद की कमी से शरीर में हार्मोन असंतुलित होने लगते हैं. इससे मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियाँ जैसी समस्याएं होने लगती हैं जो हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ाती हैं. हाल ही में हुए एक शोध में पता चला कि जो लोग रात में 6 घंटे से कम सोते हैं उनमें हार्ट अटैक होने का खतरा 20% अधिक होता है.
अगर आपका शरीर दे रहा है ये संकेत तो जाएं डॉक्टर के पास
- सीने में भारीपन महसूस होना
- किसी एक बांह या दोनों बांहों में दर्द होना
- सांस फूलना
- सीने में दर्द होना
- गले, जबड़े, पेट या कमर के ऊपरी हिस्से में दर्द होना
- सीने में खिंचाव या जलन महसूस होना
कई बार युवाओं को जब इनमें से कोई लक्षण नजर आते हैं तो वे इस ग़लतफ़हमी में रहते हैं कि अभी तो उनकी हार्ट अटैक आने की उम्र ही नहीं है ये एसिडिटी या किसी और बीमारी के लक्षण हैं. हार्ट अटैक के लक्षणों को छिपाएं नहीं बल्कि कोई भी लक्षण बार-बार दिखे तो जाकर अपनी जांच कराएं.